"सुकून का सफर"
हो कहीं सुकून का जहां,एक दुनिया अनूठी,
वहां सुरमई रातों में,
तरंगों की बूँदें छूनी।
ख्वाबों की धड़कन को,
ले चल वहां अपने साथ,
जिंदगी के रंगों में,
बसा एक प्यारा सा सफर।
थोड़े दिन वहां,
सजीव कर अपने सपनों को,
खुशियों की मिठास में,
गुजरे वो पल खास।
वहां न कोई चिंता,
न कोई तनाव,
बस मन की शांति,
और सुकून का आभामंडल।
वो पल कभी न भूलें,
वो यादें कभी न मिटें,
खुशियों की वो यात्रा,
जीवन भर याद रहेगी।
तो चलें अब हम,
सुकून के उस सफर पर,
जहां मिलेंगे हम,
अपने सपनों के करीब।
स्वरचित एवं मौलिक पंकज शर्मा (कमल सनातनी)
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