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जब तक न तुम हाथ पैर हिलाओगे

जब तक न तुम हाथ पैर हिलाओगे

जब तक न तुम हाथ पैर हिलाओगे ,
तो पैसे का सुख तुम कैसे ले पाओगे ।
नोटों के बंडल से भरी है तिजोरी तेरी ,
पर हाथ तेरा वहां तक जा न पाता हैं ।
पैर तेरे खड़े होने को तैयार नहीं ,
मन है कि सब तरह से जोर आजमाता है ।
पैसा बटोरने में तन का ख्याल रखा नहीं ,
पैसा तो हुआ पर स्वास्थ्य तो चला गया ।
अब कैसे भोगोगे बटोरे हुए पैसे को ,
पैसा मुस्करा रहा पर शरीर में घुन लग गया ।
पैसा है जरूरी पर स्वास्थ्य उससे उत्तम है ,
गौर कर के देखो तो , स्वास्थ्य ही सर्वोत्तम है ।
 जय प्रकाश कुंअर
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