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करते रहते हो अंगुली

करते रहते हो अंगुली

---:भारतका एक ब्राह्मण.
संजय कुमार मिश्र"अणु"
आज कान लगाए-
सब ओर दीवार खडी है।
बस कोई कुछ बोले-
एक यही फिक्र पडी है।।
लोग देख रहे हैं तमाशा-
और हम दिखा रहे हैं।
कभी कुछ सोचे भी नहीं-
कि हम कहां जा रहे हैं।।
सभी मोडे हुए हैं आंख,
आंख गडाने के लिए।
जो हमदर्दी दिखा रहे हैं-
वो भी लडाने के लिए।।
सब बैठ गए हैं पैर पसार,
कह नहीं रह सकता खडा।
आखिर उसे क्या मिला-
जो था सबके लिए लडा।।
वही लोग सलाह दे रहे हैं,
जो हमेशा करते रहे चुगली।
हो जायेगा...जा उधर बैठो-
क्यों करते रहते हो उंगली।।
----------------------------------------वलिदाद,अरवल(बिहार)
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