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मानव में दानवता

मानव में दानवता

आज दानवता में मानव ,
देखो कैसे फॅंस रहा है ।
मानव मन में दानवता ,
जैसे देखो बस रहा है ।
आतंकी हमास को देखो ,
इजरायल डॅंस रहा है ।
हमास की करतूत देख ,
आज संसार हॅंस रहा है ।
इजरायल भी अपना ,
यह बागडोर कस रहा है ।
इजरायल का सदा इरान ,
पकड़ता ये नश रहा है ।
नृशंस हत्याएं व आतंक ,
आतंकवादी वश रहा है ।
यश कमा तो सकता नहीं ,
जिम्मे ये अपयश रहा है ।
दुश्कर्मी की नैतिकता ,
अब देखो धॅंस रहा है ।


पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना
अरुण दिव्यांश
डुमरी अड्डा
छपरा ( सारण )बिहार ।
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