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मैं लिखता हूं , तुम पढ़ती हो ,

मैं लिखता हूं , तुम पढ़ती हो ,

यह बहुत ही मन को भाता है ।
हर रोज मीठे अभिवादन पर ,
दिल बाग-बाग हो जाता है ।।
आंखों में उभरता रूप वहीं ,
जो दिल में जगह बनाया है ।
साधारण सा वो रूप रंग ,
जो मेरे दिल को भाया है ।।
सजने से थोड़े कुछ होता है ,
जब तक ना दिलवर का नजर पड़े।
बेकार है क्रीम पाउडर काजल ,
जब तक ना दिलवर से नैन लड़े ।।
साफ दिल और स्वच्छ तन ,
यह सच्चे प्रेम की ताकत है ।
चिकनी चुपड़ी बातें सारी ,
कुछ और नहीं बस हिमाकत है ।। 
 जय प्रकाश कुंअर
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