जब दिल को दर्द सताती है ,
खुब याद तुम्हारी आती है ।
मैं जाम नहीं छलकाता हूं ,
आंसू पीकर रह जाता हूं ।
आंखों से आंसू बहते हैं ,
दुख दर्द वो दिल के कहते हैं ।
तन भी सुन्दर, मन भी सुन्दर ,
तुम दायित्वों की जीवंत मूरत हो।
अपने चाहे जो कुछ समझें ,
तुम मेरी बहुत जरूरत हो ।
वो मीठी-मीठी बातें करना ,
मेरे माथे को सहलाना ।
लाखों कष्टों का मरहम है ,
सिरहाने मेरे तेरा बैठ जाना ।
मेरे कष्टों का ख्याल न कर ,
सब अब भी आश लगाते हैं ।
दिल की पीड़ा को समझे कौन ,
सब केवल अपना कहलाते हैं ।
जो दिल की बातों को समझे ,
वहीं जीवनसाथी कहलाता है ।
स्वार्थ भरी इस दुनिया में ,
बेकार और सभी नाता है ।
जय प्रकाश कुंअर
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