बहस चल रही लेकिन
असली मुद्दा खिसक गया।।ऊँची- ऊँची बातों के
लरछे ,ऊलझे--उलझे
जिनको सुलझाना था
वे सब पेंच कहाँ सुलझे।।
हंसते खिलते प्रश्नों का
ताना ही विदक गया।।
जाना तो था नदी घाट
सागर की बात उठाई
विला वजह हाथा -पाई में ं
अपनी साख गँवाई।।
समय जरा संकोची था
पहले ही ठिठक गया।।
ताक लगाये बडे कैमरे
चुप-चुप झाँक रहे।
मंडल के रंगों में जन मन
नीयत आँक रहे।
खेल सियासी सच्चा -झूठा
खुद ही बहक गया।। ***********11
रामकृष्ण
हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews https://www.facebook.com/divyarashmimag
हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews https://www.facebook.com/divyarashmimag
0 टिप्पणियाँ
दिव्य रश्मि की खबरों को प्राप्त करने के लिए हमारे खबरों को लाइक ओर पोर्टल को सब्सक्राइब करना ना भूले| दिव्य रश्मि समाचार यूट्यूब पर हमारे चैनल Divya Rashmi News को लाईक करें |
खबरों के लिए एवं जुड़ने के लिए सम्पर्क करें contact@divyarashmi.com