अंतर्ज्ञान
दूसरों को जानना ज्ञान है,
खुद को जानना प्रबोधन है।
बाह्य दुनिया की समझ से,
आंतरिक दुनिया का ज्ञान है।
दुनिया के रहस्यों का उद्घाटन,
यह तेरे अंतर्मन की खोज है।
दूसरों की भावनाओं को समझना,
अपने स्वयं के विचारों को जानना है।
तेरा दुनिया के साथ सामंजस्य,
अपने स्वयं के साथ ही शांति है।
लेकिन तेरा यह खुद को जानना,
अपने गुण-दोषों को पहचानना है।
अपने मन के भावों को समझना,
अपने जीवन का उद्देश्य जानना है।
जब हम खुद को जानते हैं,
दूसरों को बेहतर तरीके से समझ पाते हैं।
हम अपने जीवन में सही निर्णय ले पाते हैं,
और हम एक खुशहाल जीवन जी पाते हैं।
स्वरचित एवं मौलिक
पंकज शर्मा (कमल सनातनी)
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