शरद पूर्णिमा
शरद ऋतु की प्रथम पूर्णिमा ,पावन पुण्यित है गंगा स्नान ।
भगवन का भी ध्यान कर लो ,
गरीबों ब्राह्मणों को दो दान ।।
जीवन में यही फलित होता ,
सुखमय जीवन ये बीतता है ।
जीवन में कभी दुःख न होता ,
प्यारा सा जीवन जीतता है ।।
शरद पूर्णिमा का संयोग यह ,
चंद्र में आज लग रहा ग्रहण ।
ग्रहण काल में कुछ न करना ,
केवल भजन जप है निर्वहन ।।
चतुर्मास का अंतिम महिना ,
कल से हो जाएगा ये प्रारंभ ।
बड़े बड़े त्योहारों का यह तो ,
लंबा चौड़ा होता है ये स्तंभ ।।
कार्तिक माह होता है पावन
नित्य गंगा दर्शन औ स्नान ।
शरद पूर्णिमा है संदेशवाहक ,
करके स्नान ध्यान औ दान ।।
पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना
अरुण दिव्यांश
डुमरी अड्डा
छपरा ( सारण )बिहार ।
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