छठ महापर्व के अवसर पर छठ व्रतियों के बीच वी युवा समरस मंच ने वितरित किया पूजन सामग्री

छठ महापर्व के अवसर पर छठ व्रतियों के बीच वी युवा समरस मंच ने वितरित किया पूजन सामग्री

दिव्य रश्मि संवाददाता जितेन्द्र कुमार सिन्हा की खास खबर |
कार्तिक छठ महापर्व की चार दिवसीय अनुष्ठान शुक्रवार (17 नवंबर) को पहले दिन नहाय-खाय से शुरु हो गया है , जिसका समापन 20 नवम्बर को उदयमान सूर्य को अर्ध्य देने के बाद सम्पन्न होगा।
उक्त अवसर पर गर्दानीबाग, पटना के युवा समरस मंच द्वारा छठ व्रतियों के बीच सूप, नारियल, गगड़ा नींबू और हुमाद का वितरण किया। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता मंच के अध्यक्ष अनुराग समरूप ने किया। इस कार्यक्रम में सक्रीय रूप से मंच के कार्यकारी अध्यक्ष साकेत सौरव (गोलू), उपाध्यक्ष रेहान सिन्हा (निखिल), ऋतुराज सिन्हा, महासचिव पीयूष श्रीवास्तव, सलाहकार देवांशु नितेश, सचिव विक्की कुमार एवम सदस्य अभिनव सिंह शामिल थे। कार्यक्रम में विशेष रूप से समाजसेवी आकाश वर्मा, विशेष ग्लोरियस बिहार मिसेज ज्योति दास और पटना हाई कोर्ट के अधिवक्ता सोनी कुमारी उपस्थित थे।
वहीं युवा समरस मंच ने कंकड़बाग टैंपू स्टैंड के पास भी स्टॉल लगा कर छठ व्रतियों के बीच पूजन सामग्रियों का वितरण किया।
उक्त अवसर पर युवा समरस मंच के पदाधिकारियों और सदस्यों के अतिरिक्त चित्रगुप्त समाज बिहार झारखंड के महासचिव अजय वर्मा, भारतीय जनता पार्टी एनआरआई सेल के प्रदेश अध्यक्ष मनीष कुमार सिन्हा, पटना के डेंटल सर्जन सह डॉ० प्रभात चंद्रा, बिहार सरकार के सहायक राज्य कर आयुक्त समीर परिमल, मृदुराज फाउंडेशन पटना के अध्यक्ष राजीव रंजन, बिहार सरकार के सूचना एवं जनसंपर्क विभाग के सेवा निवृत्त जितेन्द्र कुमार सिन्हा अतिथि के रूप में उपस्थित थे।
उक्त अवसर पर डॉ प्रभात चंद्रा ने कहा कि छठ पर्व सबसे पहले कर्ण ने सूर्य देव की पूजा करके शूरू किया था। वे रोज घंटों तक पानी में खड़ा होकर सूर्य उपासना करते थे तथा सूर्य को अर्घ्य देते थे। यह भी किदवंती है कि जब पांडव जुए में अपना सारा राज पाट हार गए थे तब श्रीकृष्ण द्वारा बताए जाने पर द्रौपदी ने छठ व्रत रखी थी। इस व्रत करने पर उनकी मनोकामनाएं पूरी हुई और पांडवों को उनका राज पाट मिला। यह भी कहा जाता है कि छठ का उपवास भगवान राम और माता सीता ने भी रामराज्य की स्थापना के लिए, लंका पर विजय के उपरांत अयोध्या लौटने पर , रखा था तथा अर्घ्य अर्पित कर सूर्य देव की पूजा अर्चना की थी ।
डॉ० प्रभात चंद्रा ने बताया कि कर्ण द्वारा घंटों तक पानी में खड़ा होकर सूर्य देव को अर्घ्य अर्पित करने की परंपरा आज भी छठ व्रतियों में प्रचलित है, जिसे कष्ठी व्रत कहा जाता है।
हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews https://www.facebook.com/divyarashmimag

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ