Advertisment1

यह एक धर्मिक और राष्ट्रवादी पत्रिका है जो पाठको के आपसी सहयोग के द्वारा प्रकाशित किया जाता है अपना सहयोग हमारे इस खाते में जमा करने का कष्ट करें | आप का छोटा सहयोग भी हमारे लिए लाखों के बराबर होगा |

आज पुरुष दिवस

आज पुरुष दिवस 

महिलाओं से ही घर है समाज है।
मगर ताना एक ही है यह पुरूष प्रधान समाज है।
परिवार के सभी कार्य स्त्री की सहमति से मगर आरोप "करेंगे तो अपने मन की"।
पुरूष भी दिन रात मेहनत करें तो यह उसकी जिम्मेदारी और औरत काम करेगी तो कहेगी "नौकरानी बना दिया"।
स्त्रीधन होता है, स्त्री के पास अपने पैसे होते हैं और पुरुष सब कमाकर भी उसका अपना कुछ नहीं। क्योंकि वह समझता है कि पैसे पर पहला हक परिवार का है।


विडम्बना यह कि पुरुष अत्याचारी होता है, भले ही वह भूखा रहकर रात दिन मेहनत करें, धूप में बोझा उठाये या रात दिन व्यापार में व्यस्त रहे।


विचार करें और सकारात्मक चर्चा करें। किसी पर आरोप प्रत्यारोप नहीं। समाज और परिवार में सबका महत्त्व होता है।

लज्जा पुरूषों का गहना है, आज समझ में आता है,
नग्न वेश में कोई पुरुष, सबके सम्मुख नहीं आता है।
अर्धनग्न नारी घुमें, नहीं लज्जा का कोई भान उन्हें,
फिर भी निर्लज्जता का दोषी, पुरूष ही कहलाता है।


मर्यादा में रहते हमने, अक्सर पुरूषों को देखा है,
कष्ट पड़ा तो साथ निभाते, हमने ग़ैरों को देखा है।
पुरूष निभाता साथ पुरूष का, औ’ नारी का सम्मान,
महिला ही महिला की दुश्मन, सारे जग ने देखा है।


अर्ध नग्न नारी घूमें, कर मर्यादाओं को तार तार,
विज्ञापन की वस्तु बनती, निजत्व को तार तार।
आगे बढ़ने की अंधी दौड़, सब कुछ पाने की चाह,
आज़ादी का बिगुल बजा, संस्कारों को तार तार।

पुरूष और स्त्री 

औरत धरा है
औरत सृष्टि है
माँ बहन पत्नी है
औरत संतुष्टि है।

पुरूष बीज है
बिन धरा कुछ नहीं
पुरूष स्वाभिमान है
पुरूष प्रेम है।

मगर औरत धारणा है
औरत निर्माता हैं
औरत संहारक है।
औरत ब्रह्मा है
विष्णु और शिव है
कामना है
आराधना है
औरत से ही भावना है।

डॉ अ कीर्ति वर्द्धन

डॉ अ कीर्ति वर्द्धन
हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews https://www.facebook.com/divyarashmimag

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ