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उत्सव को उत्सव बनाकर जियो

उत्सव को उत्सव बनाकर जियो

उत्सव को ख़ुशियाँ बनाकर जियो।
उत्सव ही प्रेरणा जीवन जीने की,
उत्सव को प्राण तत्व बनाकर जियो।

पर्व खुशियों का है, तम मिटाइए,
हर गली कूंचे में, दीपक जलाईये।
भूखा न रहने पाये, कोई पड़ोस में,
सम्मान से भोजन, भंडारा लगाईये।

पर्व रोशनी का है, अन्धकार मिटाने का,
शिक्षा दीप जलाने, अज्ञान मिटाने का।
जाति धर्म क्षेत्रवाद, नहीं शास्त्र में लिखा,
मानवता का पालन, भेदभाव मिटाने का।

शरद ऋतु का अन्त, अभी फसलें आयी हैं,
ख़ुशियों का आग़ाज़, हेमन्त ऋतु आयी है।
तम का विनाश और सत्य की विजय गाथा,
राम आगमन, घर में ख़ुशियाँ दिवाली आयी है।

डॉ अ कीर्ति वर्द्धन
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