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आँसू और जाम --

आँसू और जाम ---

आँसुओं का पैमाने से, कितना गहरा मेल है,
छलकने का बहाना, दोनों का खेल है।


कभी गम मिटाने को, कभी ख़ुशी जताने को,
छलकते हैं दोनों हरदम, अहसास जताने को।


छलकते हैं दुःख के आँसू, अक्सर मेरी तन्हाई में,
पैमाना भी पिया तन्हा, यारों की रुसवाई में।


छलकाए थे जाम मैंने, जब भरी महफ़िल में,
आँसू थे मेरी आँख में, महबूब था दिल में।

डॉ अ कीर्तिवर्धन
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