अयोध्या धाम
जनक सुता शक्ति ,दशरथ सुत राम ।
दो हृदय जब जुड़े ,
बना अयोध्या धाम ।।
भरत लखन शत्रुघ्न ,
त्रेता भ्रात महान ।
रघुवर पावन भक्त ,
पवन पुत्र हनुमान ।।
अयोध्या राम नगरी ,
मिथिला शक्ति धाम ।
हो गईं अयोध्या बहू ,
उर बसा उर राम ।।
अयोध्या पावन नगरी ,
भारत विशेष पहचान ।
जिनसे सभ्यता संस्कृति ,
भारत विशेष सम्मान ।।
गोकुल मथुरा औ वृंदा ,
जहाॅं बसते राधेश्याम ।
काशी में शंभू का बसेरा ,
पूजा भक्ति है अरमान ।।
सादर नमन प्रणाम है
भरत लखन शत्रुघ्न राम ।
सादर नमन देवियों को ,
संग नमन है राधेश्याम ।।
पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना
अरुण दिव्यांश
डुमरी अड्डा
छपरा ( सारण )बिहार ।
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