रह नहीं सकता मुख मोड़ के
रह नहीं सकता मुख मोड़ के।
जाउं कहां प्रभु तुम्हें छोड़ के ।।
मैं अज्ञानी समझ न पाऊं।
कैसे मन श्री चरण लगाऊं ।।
कुकर सुकर सम पेट भरना ।
अब तक सीखा यही है करना ।।
तेरा नाम न मुख से आता ।
जीवन व्यर्थ है बितता जाता ।।
द्वार पड़ा हूं मुझे उठालो ।
पापी मन को तुम्हीं संभालो ।।
बिन तेरे नहीं कोई है अपना ।
सारा जग मिथ्या एक सपना ।।
जय प्रकाश कुंअरहमारे खबरों को शेयर करना न भूलें|
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