सीख ले, देरी न कर
गर्दिशों में मुस्कुराना सीख ले, देरी न कर,इश्क आख़िर तक निभाना सीख ले, देरी न कर।
दुःख - सुख आते हैं, आते ही रहेंगे सर्वदा,
जोख़िमों को सिर उठाना सीख ले, देरी न कर।
प्यार के बाजार में दिल के अनेकों रूप हैं,
दिलरुबा पर दिल लुटाना सीख ले, देरी न कर।
पाँव में ठोकर लगे, उन पत्थरों को चूम ले,
ठोकरों को गुरु बनाना सीख ले, देरी न कर।
प्यार करना है करो पर प्यार में व्यापार क्यों!
लाभ - घाटा भूल जाना सीख ले, देरी न कर।
हैं हजारों फूल - भौरे दिल लगाते बाग में,
एक सँग टिकना-टिकाना सीख ले, देरी न कर।
मूक, बहरा और अंधा बन अवध अब सोच मत,
इस तरह रिश्ते चलाना सीख ले, देरी न कर।
डॉ अवधेश कुमार अवध
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