वफादार ----
कुत्ते को डालिएबस
एक टुकड़ा रोटी का
वह मानता है अहसान
उस टुकडे का
और बना रहता है
वफादार
हमेशा के लिए।
आदमी
अक्सर करता है वार
अपनों पर ही
जिनके टुकड़ों पर
वह पलता है
जीवन भर।
शायद
इसीलिए आदमी देता है
गालियाँ
आदमी को
'कुत्ता बन जाने की'।
क्यों की
उसे अच्छा लगता है
स्वयं का नहीं
अपितु
दूसरे का
कुत्ता बने रहना,
और वफादार भी
बस
एक टुकडे के लिए।
डॉ अ कीर्तिवर्धन
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