छठ महापर्व

छठ महापर्व

जय प्रकाश कुंअर
चार दिनों तक चलने वाले इस साल के छठ महापर्व की शुरुआत आज १७ नवंबर से शुरू हो गया है , जिसका समापन २० नवंबर को भगवान सूर्य देव को सुबह का अर्घ्य देकर होगा । आज का प्रथम अनुष्ठान नहाय खाय से शुरू हुआ है । कल यानि १८ नवंबर को खरना का अनुष्ठान होगा । परसों यानि १९ नवंबर को शाम को अस्तगामी सूर्य देव को अर्घ्य अर्पित होगा और अगले दिन यानि २० नवंबर को सुबह उदयमान सूर्य देव को अर्घ्य अर्पित कर ब्रती इस महापर्व का समापन करेंगे ।
छठ महापर्व सूर्य देव का पर्व है । इस अवसर पर भगवान सूर्य देव और छठी म‌इया की पूजा होती है । अब आइए जानते हैं कि सूर्य देव कौन हैं और छठी म‌इया कौन हैं ।
सूर्य देव का एक नाम आदित्य भी है । पुराणों के अनुसार वे माता अदिति और पिता महर्षि कश्यप के पुत्र हैं । माता अदिति के पुत्रों को आदित्य कहा जाता है । सूर्य देव के संतानों में पुत्र के रूप में मुख्यतः यमराज , शनिदेव , कर्ण और सुग्रीव का नाम आता है । तथा उनकी पुत्री के रूप में कालिंदी और भद्रा का नाम आता है । कालिंदी को ही यमुना भी कहते हैं ।
छठी म‌इया ब्रह्मा जी की मानस पुत्री हैं और सूर्य देव की बहन हैं ।
श्रीमद्भागवत महापुराण के अनुसार प्रकृति के छठे अंश से प्रकट हुई सोलह माताओं में सबसे प्रसिद्ध छठी म‌इया हैं । ये स्वामी कार्तिकेय की पत्नी हैं ।
छठ पर्व को सबसे पहले कर्ण ने सूर्य देव की पूजा करके शूरू किया। वे सूर्य के पुत्र के साथ साथ सूर्य देव के परम भक्त भी थे ।वे रोज घंटों तक पानी में खड़ा होकर सूर्य उपासना करते थे तथा सूर्य को अर्घ्य देते थे । एक और कथा के अनुसार जब पांडव जुए में अपना सारा राज पाट हार गए थे तब श्रीकृष्ण द्वारा बताए जाने पर द्रौपदी ने छठ ब्रत रखा था । इस ब्रत को करने उपरांत उनकी मनोकामनाएं पूरी हुई और पांडवों को उनका राज पाट मिला । छठ का उपवास भगवान राम और माता सीता ने भी रामराज्य की स्थापना के लिए, लंका पर विजय उपरांत अयोध्या लौटने पर , रखा था तथा अर्घ्य अर्पित कर सूर्य देव की पूजा अर्चना की थी ।
कर्ण द्वारा घंटों तक पानी में खड़ा होकर सूर्य देव को अर्घ्य अर्पित करने की परंपरा आज भी छठ व्रतियों में प्रचलित है ।

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