Advertisment1

यह एक धर्मिक और राष्ट्रवादी पत्रिका है जो पाठको के आपसी सहयोग के द्वारा प्रकाशित किया जाता है अपना सहयोग हमारे इस खाते में जमा करने का कष्ट करें | आप का छोटा सहयोग भी हमारे लिए लाखों के बराबर होगा |

इश्क़ का खुमार कैसा

इश्क़ का खुमार कैसा

इश्क़ का खुमार कैसा, रूप के साथ ही ढल गया,
दरिया भी दरिया कैसा, बरसात जाते उतर गया।
आशिक़ों की आशिकी का, अजब आलम देखिए,
इश्क़ की चाहत में भटके, हुस्न देखा मचल गया।


जाने नही जो ककहरा, इश्क के क्या मानी हैं,
इश्क़ में बातें दिल की, कुछ किस्से रूमानी हैं।
हुस्न को ही इश्क़ समझें, हुस्न का चारा चखा,
हुस्न के जाल में फँसे, इश्क़ मतलब बेमानी है।

डॉ अ कीर्ति वर्द्धन
हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews https://www.facebook.com/divyarashmimag

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ