हमेशा प्यार में

हमेशा प्यार में

क्या हमेशा प्यार में ऐसा ही होता है ,
उसे देख के दिल कुछ तो कहता है ,
उसकी याद में तो तन्हाई भी गाती है ,
उसके बिना हर लम्हा अकेला लगता है ,
उसके साथ बिताया हर पल याद आता है ,
उसका साथ जिने की चाह सिखाता है ,
क्या हमेशा प्यार में ऐसा ही होता है ,
उस से मिलना बातें करना अच्छा लगता है ,
उसके साथ जियु मै दिल यही कहता है ,
मेरी हर धड़कन में वही तो बसता है ,
उस के स्पर्श से रोम - रोम खिल जाता है ,
क्या हमेशा प्यार में ऐसा ही होता है ,
उसकी बातें सुनते रहना अच्छा लगता है ,
उसकी आँखों मे डूब जाने को दिल करता है ,
उसी की तरह बन जाऊ यूं लगाता है ,
वो कृष्ण मैं राधा बन जाऊं दिल कहता है ,
पर शायद राधा - कृष्ण की तरह हमारा मिलन भी नहीं हो सकता है ।
क्या हमेशा प्यार में जुदा ही होना होता है,
क्या हमेशा प्यार में ऐसा ही होता है ।
( स्वरचित )

नेहा शर्मा 
उदयपुर ( राजस्थान )
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