जमाना तेजी से बदल रहा है ।

जमाना तेजी से बदल रहा है ।

जमाना तेजी से बदल रहा है ।
रिश्ते तेजी से बदल रहे हैं ।।
अब किसको अपना कहें ।
यह समझ में नहीं आ रहा है ।।
सब कुछ देखकर नजरें खामोश हैं ।
पता नहीं अब क्या क्या देखना शेष है ।।
मंत्र, तंत्र , यंत्र युग पीछे चला गया ।
अब केवल षड्यंत्र युग चल रहा है ।।
हर कोई दूसरे को ठगने में लगा हुआ है ।
दूनियां में यह अद्भुत दौर चल रहा है ।।
पैसा कमाना है छुपकर दूसरे के आड़ में ।
खुद को पुजवाना है , बाकी जाएं भाड़ में ।। जय प्रकाश कुंअर
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