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क्रियेटिव लर्निंग का प्रसार पूरे देश में करने की जरूरत – कुलपति

क्रियेटिव लर्निंग का प्रसार पूरे देश में करने की जरूरत – कुलपति

  • स्कूल आफ क्रियेटिव लर्निंग की रजत जयन्ती समारोह आयोजित
हमारे दिव्य रश्मि संवाददाता अरविन्द अकेला की खबर
पटना,(दिव्य रश्मि)।कल रविवार को स्कूल आफ क्रियेटिव लर्निंग की रजत जयन्ती समारोह दानापुर के नरगदा गाँव स्थित स्कूल परिसर में आयोजित की गई। अवकाश प्राप्त आई.ए.एस एवं विहार विद्यापीठ के अध्यक्ष श्री विजय प्रकाश ने अपने जीवन में सीखने के सृजनात्मक सिद्धांत को प्रतिपादित करने के पश्चात इसे जमीनी स्तर पर उतारने के लिए स्कूल आफ क्रियेटिव लर्निंग को स्थापित किया था जो आज पच्चीस वर्षों के बाद युवा अवस्था को प्राप्त कर लिया है। इसके उत्तरोत्तर विकास के लिए आज बच्चों, अभिभावकों ,शिक्षकों तथा विराट जन समूह द्वारा आशीष व शुभकामना की जरुरत है ।
सबसे पहले संस्थान ध्वज फहराया गया। श्री विजय प्रकाश द्वारा लिखित स्कूल गीत "हम शिक्षु हैं एस सी एल के" का गायन हुआ । स्कूल के विद्यार्थियों द्वारा निर्मित रोवेटिक प्रदर्शन किया गया। इस अवसर पर सृजन यात्रा का प्रतीक एक सृजन यान लान्च किया गया।
इसके पश्चात सभी को भारतीय परंपरानुसार रोली चंदन लगाया गया एवं आगत अतिथियों को शब्द हार पहनकर स्वागत किया गया।जबकि रजत जयन्ती समारोह का उद्घाटन अतिथियों द्वारा छात्रों द्वारा निर्मित रोबोटिक लैंप जलाकर किया गया। इस अवसर पर स्कूल के छात्रों द्वारा बनाए गए जल के उपयोग से जलने वाले अनूठे दीप को प्रज्ज्वलित किया गया। श्री मानवेन्द्र कंठ डी वाई पाटिल अन्तरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय पुणे द्वारा लिखित एवं गाए गए गीत की प्रस्तुति भी की गई।पच्चीस वर्षों की सृजन यात्रा की उपलब्धियों की एक प्रदर्शनी भी लगाई गई।
जाने माने संचालक अजीत कुमार सिंह द्वारा संचालित इस समारोह में विद्यालय की प्राचार्या एवं बिहार चरखा समिति की अध्यक्षा डॉक्टर मृदुला प्रकाश ने आगत अतिथियो,पत्रकारों,बच्चों,बच्चों के अभिभावकों एवं अपने पारिवारिक सदस्यों का स्वागत किया।
इसके पश्चात ए.पी.सी.एल.एवं स्कूल आफ क्रियेटिव लर्निंग की सृजन यात्रा के सह यात्रियों, शिक्षाविद्,चिकित्सक,अभियंता,मनोवैज्ञानिक,समाजसेवक,वैज्ञानिक,अनुसंधानकर्ता,साहित्यकार,पाठ्य-पुस्तकों लेखक,कलाकारों को उनके बौद्धिक एवं आर्थिक योगदान के लिए सम्मानित किया गया।
इस अवसर पर एक स्मारिका इम्पावरिंग माइंड 25 इयर्स ऑफ क्रिएटिव लर्निंग तथा गांधी जिन्ना संवाद शोध पुस्तक का लोकार्पण भी किया गया।
श्री विजय प्रकाश ने अपने संबोधन में नैसर्गिक रूप से सीखने के सृजनात्मक सिद्धांत पर आधारित स्कूल आफ क्रियेटिव लर्निंग की सृजन यात्रा की गाथा साझा करते हुए कहा कि आज हर बच्चे को सृजनात्मक होना अनिवार्य है। सृजनात्मक शिक्षण व्यक्ति को स्वावलंबी बनाता है।सृजनशीलता एवं इनोभेशन का विकास नये युग की एक आवश्यकता है।
अमेरिका से आये विख्यात चिकित्सक डॉ.आर.पी.सिन्हा. ने कहा कि हमारा जुड़ाव ए.पी.सी.एल. और स्कूल आफ क्रियेटिव लर्निंग से लगभग बीस वर्षों का है। इससे प्रेरित होकर इनके सहयोग से रितु सिन्हा नालेज सेन्टर आफ क्रियेटिव लर्निंग की स्थापना हुई। इसके पच्चीस वर्षों की सफल यात्रा के लिए उन्होंने हार्दिक बधाई दी।
इस अवसर पर मुख्य अतिथि श्रीरामेश्वर सिंह,वाइस-चांसलर, आर्यभट्ट ज्ञान विश्वविद्यालय तथा बिहार पशु विज्ञानं विश्वाविद्यालय ने अपने संबोधन में कहा कि अन्य विद्यालयों से कई मायने में यह स्कूल आफ क्रियेटिव लर्निंग बहुत भिन्न है। यहाँ विकसित शिक्षण या पुस्तकें भी नवाचारी सिद्धान्तों पर आधारित होने के कारण विशिष्ट हैँ । क्रियेटिव लर्निंग पद्धति को अन्य स्कूलों में भी लागू करने की जरूरत है।
भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी श्री चैतन्य प्रसाद ने कहा कि नोबेल पुरस्कार प्राप्त करने के लिए शोधपरक शिक्षण की आवश्यकता है। इसके लिए हमें ऐसा वातावरण तैयार करना चाहिए कि रूटिन पढ़ाई की जगह सृजनात्मक शिक्षा की ओर अग्रसर होना चाहिए।
डॉ.प्रोफेसर रणविजय नारायण सिन्हा तथा डॉ. सतीश कुमार ने भी बच्चों को प्रोत्साहित किया। स्कूल के विद्यार्थियों द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम में शिवतांडव नृत्य,गणेश वंदना,प्रस्तुत लोक नृत्य एवं दुर्गा वंदना की नाट्य प्रस्तुति की गई।
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