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शब्दहीन प्रेम

"शब्दहीन प्रेम"
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शब्द नहीं हैं मेरे पास रचने को ....,
सिर्फ तुम्हारी यह आँखें ही है।
पर्याप्त सारा कुछ कहने को,
पल भर तुम्हारा वो अपलक तकना।
लय बद्ध कर गया मेरी सम्पूर्ण चेतना,
फिर बोलो शेष क्या शब्दों मे बंधना ....।


तुम्हारी आँखों में है एक अद्भुत जादू,
जो मुझे मंत्रमुग्ध कर देती है।
तुम्हारी आँखों में है एक अथाह गहराई,
जिसमें मैं अक्सर डूब जाता हूँ।


तुम्हारी आँखों में है एक अनमोल खजाना,
जो मुझे अमूल्य संपत्ति देता है।
तुम्हारी आँखों में है एक अमर प्रेम,
जो मुझे में जीवन भर देता है।


तुम्हारी आँखों में है एक अनंत विश्वास,
जो मुझे मजबूती और आधार देता है।
तुम्हारी आँखों में है एक अनवरत आश्वासन,
जो मुझे कभी निराश नहीं होने देता है।


तुम्हारी आँखों में है एक अविश्वसनीय शक्ति,
जो मुझे हर मुश्किल से पार कर जाती है।
तुम्हारी आँखों में है एक अद्भुत प्रेम,
जो मुझे जीवन भर खुश रखता है।


स्वरचित एवं मौलिक पंकज शर्मा (कमल सनातनी)
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