उड गया आशियां तो जाने दो !
======(अर्चना कृष्ण श्रीवास्तव)उड गया आशियां तो जाने दो,
फिर नया कोई घर बनायेंगे ।
तुम हमारे साथ हो तो क्या गम है,
कितने तूफान लांघ जायेंगे ।
कुछ नहीं बचा, किसी ने कह दिया,
फिर उन्हें रोशनी दिखायेंगे !
सोचने के लिए जो सोच शेष है, सबकुछ बचा है , हम उन्हे सुनायेंगे ।
सोच सकता नहीं किसी खण्डहर से मिल देखा,
होना , ना होना, उसने कब लिखा आखिर!
टूटे पत्तों सा लडखडा कर जाते हुए,
वक्त की पीठ पर आवाज़ लिखे जायेंगे ।
मेरा टूटा ये सफर फिर नया सबेरा है,
मेरा जलता ये सफर, मिट रहा अंधेरा है ।
हर वर्ष के मधुबन के पतझड़ है हम,
इस बागवाँ में, फिर नया बन आयेंगे !======अर्चना
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होना , ना होना, उसने कब लिखा आखिर!
टूटे पत्तों सा लडखडा कर जाते हुए,
वक्त की पीठ पर आवाज़ लिखे जायेंगे ।
मेरा टूटा ये सफर फिर नया सबेरा है,
मेरा जलता ये सफर, मिट रहा अंधेरा है ।
हर वर्ष के मधुबन के पतझड़ है हम,
इस बागवाँ में, फिर नया बन आयेंगे !======अर्चना
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