छठी मईया
आ गईले छठ बिहारी परब ,हमनी के बहुते गरब नू हो ।
गाईब हमनी मंगल गीतिया ,
करब हमहूॅं ई परब नू हो ।।
करिहें किरपा सूरूजदेव ,
अउरी छठी माई नू हो ।
छठी माई के हमहूॅं लुभाईब ,
मंगल गीतिया गाई नू हो ।।
नहा खा के दिन आईल ,
मन मोर हरषाईल नू हो ।
छठ में मन मोर समाईल ,
जियरा अगराईल नू हो ।।
अरवा चाउर डभकाईब ,
बूॅंट दाल बनाईब नू हो ।
लौकी सब्जी हम बनाईब ,
माई के नामे खाईब नू हो ।।
छठी माई से बाटे आस ,
नाहीं करिहें निरास नू हो ।
छठी माई के करब पूजा ,
करब हम उपवास नू हो ।।
पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना
अरुण दिव्यांश
डुमरी अड्डा
छपरा ( सारण )बिहार ।
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