छठ ( बिदाई )
घाटे चलीं होता बा अबेरिया ,जल्दी चलीं दउरा उठाय ।
बोलत बाटे देखीं अब चुचुहिया ,
जल्दी होई सूरूज उदय ।।
कईसे भरब घाट पर कोसीया ,
कईसे घाट जगमगाए ।
घाटे पहुंची कोसी भराईल ,
घाटे खूबे जगमगाए ।।
होई गईले अरघ के बेरिया ,
आदित होईं ना सहाय ।
आईल बानी गंगा माई शरणिया ,
गंगा माई होखीं ना सहाई ।।
आदित्यदेव सुनीं विनतिया ,
जल्दी दर्शन देखाईं ।
छठी माई के बाटे बिदईया ,
अरघ लीहीं ना हमार ।।
जल्दी उगीं जनि करीं देरिया ,
हम बानी गंगा जी में ठाढ़ ।
जय जय आदितदेव रउरी ,
जय जय छठी माई हमार ।।
पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना
अरुण दिव्यांश
डुमरी अड्डा
छपरा ( सारण )बिहार ।
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