धन्य सुमित्रा तुम महतारी:-धनंजय जयपुरी
अयोध्या के राज उद्यान में रजनीगंधा के समान खुशबू से वातावरण को सुवासित करने वाली मगध नरेश की कन्या सुमित्रा का चरित्र अत्यंत ही अनुकरणीय एवं प्रशंसनीय है। महाराज दशरथ की तीन रानियों में सुमित्रा का चरित्र हर ओर से आदर्श प्रस्तुत करता है। यथार्थ प्रधान कैकेयी के चरित्र में मानवीय दुर्बलताओं का बाहुल्य है। कौशल्या के चरित्र में आदर्श तो हैं,परंतु उन्हें भी मानवीय दोषों से रहित नहीं कहा जा सकता। वहीं अंबा सुमित्रा के चरित्र में लेश मात्र भी कोई दुर्बलता का समावेश नहीं है। वह हर ओर से प्रशंसा के योग्य हैं। माता कौशल्या की भांति वह न तो ज्येष्ठ राजमहिषी के पद पर अभिषिक्त हो पाती हैं और न हीं अत्यंत सुंदरी होने के कारण महाराज दशरथ की प्राणप्रिया बनकर ख्याति प्राप्त कर सकीं।
माता सुमित्रा में राजभक्ति, कर्तव्य पारायणता, व्यवहार कुशलता एवं आदर्श नारी के सभी गुण प्रचुर मात्रा में दृष्टिगोचर होते हैं। वह सेवा- भाव में अधिक विश्वास रखती हैं। दुनिया की सभी माताएं अपने पुत्र को उच्च पदासीन, अत्यंत वैभवशाली तथा सदा खुशहाल देखना चाहती हैं, परंतु सुमित्रा एक ऐसी माता हैं जो अपने दो पुत्रों में से एक को तो राम की सेवा में अर्पित कर देती हैं तथा दूसरे को भरत का अनुगामी बनाकर स्वयं को सौभाग्यशालिनी समझती हैं। उन्हें महाराज दशरथ की महारानी होने का तनिक भी गर्व नहीं है।
राम वनगमन की सूचना पाकर पुत्र-वियोग के भयावने पल को मानस पटल पर लाती हुई कौशल्या बोल पड़ती हैं-
साहं गौरिव सिंहेन, विवत्सा वत्सला कृता।
कैकय्या पुरुषव्याघ्र, बालवत्सेव गौर्बलात्।।
अर्थात् जैसे किसी सिंह ने छोटे से बछड़े वाली गौ को बलपूर्वक बछड़े से अलग कर दिया हो, उसी प्रकार कैकेयी ने बलात् मुझे अपने बेटे से अलग कर दिया है। अपनी बड़ी बहन से भी ज्यादा सम्मान देने वाली सुमित्रा माता कौशल्या को इस तरह व्यथित देखकर अपने पुत्र वियोग की व्यथा को भूल जाती हैं तथा तत्त्व ज्ञानपूर्ण वाक्यों से आश्वस्त करती हुई कहती हैं-
सूर्यस्यापि भवेत्सूर्य:, अग्नेरग्नि: प्रभो: प्रभु:।
श्रिया श्रीश्च भवेदग्या:, कीर्ते: कीर्ति: क्षमा- क्षमा।।
अर्थात् श्रीराम सूर्य के सूर्य, अग्नि की अग्नि, प्रभु के प्रभु, लक्ष्मी की लक्ष्मी, कीर्ति की कीर्ति एवं क्षमा की भी क्षमा हैं।
वनवास के क्रम में अपने पुत्र लक्ष्मण को उपदेश देती हुई माता सुमित्रा कहती हैं- अपने राम के परम अनुगामी होने के कारण मैं तुम्हें वनवास के लिए विदा करती हूं। राम तुम्हारे ज्येष्ठ भ्राता हैं। ये संकट में हों या समृद्धि में, ये ही तुम्हारे परम गति हैं। संसार में सत्पुरुषों का यही धर्म है कि सदा ही अपने बड़े भाई की आज्ञा के अधीन रहें। उपदेश देते हुए वह आगे कहती हैं -बेटा श्रीराम को ही तुम महाराज दशरथ समझो, सीता को ही अपनी माता मानो, वन को ही अयोध्या समझो और सुखपूर्वक वन के लिए प्रस्थान करो।
एक ओर माता कैकेयी अपने पुत्र की सुख-सुविधाओं के लिए अपने पति की जान की परवाह किए बगैर राम को बनवास एवं भरत को राज्याभिषेक का वरदान मांग लेती हैं तो दूसरी ओर माता सुमित्रा, जिन्होंने लोकहित एवं राम को वन में होने वाली असुविधाओं को देखकर, अपने प्राण तुल्य पुत्र को अयोध्या के राज प्रसाद में होने वाले ऐशो- आराम के सुखद पलों को तजकर, राम के साथ वन में भेजने के लिए प्रेरित करती हैं। इस स्थल पर माता सुमित्रा में राजभक्ति, राम भक्ति, तेजस्विता, विवेकशीलता एवं धर्म-कर्मनिष्ठता स्पष्ट रूप से दृष्टिगोचर होती है।
रामायण की तीन नारी पात्र कौशल्या, कैकेयी तथा सुमित्रा तीन नारी-प्रकृतियों का प्रतिनिधित्व करती हैं। नारी का मध्यम रूप कौशल्या में, अधम रूप कैकेयी में तथा उत्तम रूप सुमित्रा में दिखलाई पड़ता है।
माता सुमित्रा का हृदय अथाह सागर है, जिसे मापना असंभव है। लंका की रणभूमि में लक्ष्मण को शक्ति वाण लगने की सूचना पाकर भी वह विचलित नहीं होतीं, बल्कि उन्हें संतोष की अनुभूति होती है। वन गमन के समय लक्ष्मण को दिए गए उपदेश की स्मृति उनके मानस पटल पर उभर आती है, जिसमें उन्होंने कहा था-
जेहि न राम वन लहई कलेसू। सुत सोई करेहु इहई उपदेसू।।
लक्ष्मण जी ने इस उपदेश को पूरी तरह चरितार्थ कर दिखलाया। ऐसे पुत्र की माता होने का सौभाग्य पाकर वह अपने आपको गौरवशालिनी महसूस करती हैं। धन्य हैं माता सुमित्रा, जिनकी चरणधूलि का एक भी कण विश्व संस्कृति में रची-बसी नर-नारियों को प्रसाद के रूप में प्राप्त हो जाए तो संसार का कल्याण सुनिश्चित है साथ ही अहं का भाव लिए जो लोग गर्हित जीवन जीने पर विवश हैं, उनका जीवन भी धन्य हो जाए।
धनंजय जयपुरी, प्राचार्यलॉर्ड कृष्णा मॉडल स्कूल सुंदरगंज, बारुण, औरंगाबाद, बिहार।
हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews https://www.facebook.com/divyarashmimag
0 टिप्पणियाँ
दिव्य रश्मि की खबरों को प्राप्त करने के लिए हमारे खबरों को लाइक ओर पोर्टल को सब्सक्राइब करना ना भूले| दिव्य रश्मि समाचार यूट्यूब पर हमारे चैनल Divya Rashmi News को लाईक करें |
खबरों के लिए एवं जुड़ने के लिए सम्पर्क करें contact@divyarashmi.com