गोवर्धन
उठा लिया गोवर्धन नख पे चक्र सुदर्शन धारी ने।अभिमान दूर किया इंद्र का मेरे माधव बनवारी ने।
सारा वृंदावन झूम उठा अन्नकूट भोग तैयार हुआ।
रुचि रुचि भोग लगाया केशव माधव गिरधारी ने।
गोवर्धन धारी श्रीकृष्ण हे गोकुल के घनश्याम।
राधा के मोहन प्यारे गोविंद बसे वृंदावन धाम।
द्वारिका का नाथ माधव मधुर मुरलियां वाला।
सखा सुदामा दौड़ा आता भज लो सुबहो शाम।
हे गिरधर गोपाल गोविंद कान्हा गोवर्धन धारी।
मुरली मनोहर श्रीकृष्ण हे चक्र सुदर्शन धारी।
सारे जग के पालनहारे कृष्णा सबके प्रतिपाला।
तेरी लीला तू ही जाने हे केशव माधव बनवारी।
रमाकांत सोनी सुदर्शन
नवलगढ़ जिला झुंझुनू राजस्थान
रचना स्वरचित व मौलिक है।
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