इस बार धनतेरस और दिवाली
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मार्कण्डेय शारदेयइस बार 10 नवम्बर (शुक्रवार) को धनतेरस तथा 12 नवम्बर (रविवार) को दिवाली है। लेकिन, 10 नवम्बर को त्रयोदशी दिन में 11.47 के बाद आ रही है।इस कारण 11.47 के बाद ही धन्वन्तरि भगवान का जन्मोत्सव व पूजन हो सकता है।कुछ लोग इसी दिन प्रतिष्ठानों में लक्ष्मीपूजा करते हैं व कुछ लोग खरीदारी करते हैं तो वे भी 11.47 के बाद ही कर सकते हैं।
- 11 नवम्बर (शनिवार) को नरक-चतुर्दशी एवं हनुमानजी की जयन्ती है।
- 12 नवम्बर (रविवार) को प्रातः हनुमानजी के दर्शन का माहात्म्य है।अतः मन्दिर जाकर दर्शन अवश्य करें।
- इसी दिन पार्वण का भी विधान है।खासकर उन्हें अवश्य करना चाहिए जो पितृपक्ष में किसी कारणवश पितरों का तर्पण-पार्वण नहीं कर सके हों।
- हाँ; विशेष ध्यान देने योग्य यह है कि 12 नवम्बर (रविवार) को अमावस्या दिन में 2.12 से प्रारम्भ हो रही है।प्रायः अपनी सुविधा के अनुसार् सुबह से ही अमावस्या रहने पर और साल हम व्यावसायिक प्रतिष्ठानों में लक्ष्मीपूजा कर-करा लिया करते थे।लेकिन इस बार अमावस्या दोपहर 2.12 के बाद आ रही है।इस कारण इसके पहले करना उचित नहीं। व्यापार-वृद्धि व ऐश्वर्य-प्राप्ति के लिए इस लक्ष्मीपूजा में चतुर्दशी का ग्रहण शास्त्रीय नहीं है।
- हाँ; यदि दिन में ही लक्ष्मीपूजा करनी हो तो 13 नवम्बर (सोमवार) को करें।कारण कि इस दिन अति पुण्यदायक सोमवती अमावस्या भी है और दोपहर 2.40 से रात्रि 2.40 तक बलिप्रतिपदा का अर्धभाग रहेगा, जो स्वयंसिद्ध मुहूर्तों में एक है।*
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