Advertisment1

यह एक धर्मिक और राष्ट्रवादी पत्रिका है जो पाठको के आपसी सहयोग के द्वारा प्रकाशित किया जाता है अपना सहयोग हमारे इस खाते में जमा करने का कष्ट करें | आप का छोटा सहयोग भी हमारे लिए लाखों के बराबर होगा |

मुफ्त मुफ्त मुफ्त, देश का माल है लूट लो मुफ्त।

मुफ्त मुफ्त मुफ्त, देश का माल है लूट लो मुफ्त।

मुफ्त लो भिखारी बनो।

आपका स्वाभिमान मरना चाहिये, ताकि नेता आपके सामने मुफ्त का टूकडा फैंके, आप दुम हिलायें और वह देश लूटें।

कहीं बिजली पानी, बसों मे यात्रा मुफ्त तो कोई ड्राईविंग लाइसैन्स मुफ्त, कोई मकान तो खाना मुफ्त।
बस सत्ता दो, जनता को भीख के टूकडे फैंको।
पता नही जमीर ही मर गया है आवाम का।

मर गया ज़मीर, जब से अवाम का,
रह गया इन्सान वह, सिर्फ़ नाम का।
करना नहीं चाहता, मेहनत का काम,
हर कोई चाहता माल, अब हराम का।


कुत्ते से भी बदतर हो गयी, आदमी की हालत,
रेंगकर चलते कीड़े सी है, आदमी की हालत।
कुत्ता दुम हिलाता, टुकड़ा पाकर वफ़ा करता,
खाकर गुर्राना बेवफ़ाई भी, आदमी की हालत।


सत्ता का समीकरण, वोट के जोड़ से होता,
वोट का सम्बन्ध, जनता के जोड़ से होता।
मुफ़्त के सपने दिखा, भिखारी बनाने वालो,
राष्ट्र निर्माण बुद्धि और कर्म के जोड़ से होता।

अ कीर्ति वर्द्धन
हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews https://www.facebook.com/divyarashmimag

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ