कमरों में उनके चित्र सजाए गए हैं क्यों ?
मन्दिर में जाके घण्टे बजाए गए हैं क्यों ?मस्जिद में अजांन दे के बुलाए गए हैं क्यों ?
कण-कण में यहां के जब भगवान बसते हैं,
तो पत्थर की मूर्तियों में बताए गए हैं क्यों?
जो यादों में बसे हैं उन्हें भूलना मुश्किल,
कमरों में उनके चित्र सजाए गए हैं क्यों ?
सबको है बराबर का हक जब संविधान में,
तो कुछ लोग फिर यहां पे सताए गए हैं क्यों ?
ईमां में उनके कुछ ना कुछ गड़बड़ी तो है,
वर्ना वे उधर से इधर आए-गए हैं क्यों ?
उसने किसी सवाल का जवाब ही नहीं दिया ,
औ कहता है ये सवाल उठाए गए हैं क्यों ?
'जय' तुम्हारे साथ में कोई बात तो जरूर है,
वर्ना तुम्ही पे तीर ये चलाए गए हैं क्यों ?
*
~जयराम जय
'पर्णिका'बी-11/1,कृष्ण विहार,आवास विकास,कल्यणपुर,कानपुर-208017(उ.प्र.)
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