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बारूदों के चिल्लाने से

बारूदों के चिल्लाने से

डॉ रामकृष्ण मिश्र
बारूदों के चिल्लाने से
तम का आर्तनाद कम होगा?
जठरानल जो धधक रही है
उस पर बर्फ डालना होगा।।


उकसा कर तोपों की शोणित-
प्यास लाल करते क्यों पानी
अपनी जिद की चाह मात्र से
खुल कर खेल रहे मनमानी।।
विश्व एक मानव का आँगन
सब को मिलकर रहना होगा।।


बहुत अँधेरे की चादर में
लिपटा सा आकाश हमारा
जुगनू के दाने चुगने को
अपना सुआ सफेद उतारा।।
ऐसे में संस्कृति के पहरे -
दारों को तो आना होगा ।।


बारी आँगन बँट जाने से
मानवता बँटती जो होती।
बादल आँधी-पानी सूरज के
भावों में खामी होती।।
अपनी सोच बदलने वालों को कुछ और मनाना होगा ।।
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