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रिश्ते खास

रिश्ते खास

माता पिता और भाई बहन ,
बहुत ही रिश्ते खास होते हैं ।
होते हैं वे तो सौभाग्यशाली ,
जब हर कोई ये पास होते हैं ।।
समझते हैं जो खास रिश्ते ,
उनमें देवी देव वास होते हैं ।
मुकरते हैं जो इन रिश्तों से ,
उनके तो उर्ध्व श्वास होते हैं ।।
माता पिता के बेटे और बेटी ,
सुंदर सपने व आस होते हैं ।
मातपिता के ये स्वप्न सजाते ,
वही राम सम काश होते हैं ।।
मातापिता भाई बहन को जो ,
समझने वाले ये घास होते हैं ।
नहीं समझते परहित कुछ भी ,
स्वार्थपरता के दास होते हैं ।।
मातपिता को नाहक समझते ,
वही तो कुल के नाश होते हैं ।
रहते तो वे हैं जग में जीवित ,
जीवित जिंदा लाश होते हैं ।।
वही तो होते कुल के नाशक ,
अपने कुल के ह्रास होते हैं ।
पहुॅंचते जब वे बुढ़ापे समीप ,
स्व कर्मधर्म एहसास होते हैं ।।
पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना
अरुण दिव्यांश
डुमरी अड्डा
छपरा ( सारण )बिहार ।
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