सुन्दरता
अब सुन्दरता वरदान नहीं ,अब सुन्दरता अभिशाप है ।
कौवा निडर स्वतंत्र उड़ता है,
तोता पिंजरे में बंदी बना रहता है ।
काले पत्थर अपने जगह स्थिर हैं ,
रंगीन पत्थर गहने में जड़े बंदी बने रहते हैं ।
साधारण मछलियां नदी में तैरती रहती हैं ,
रंगीन मछलियां एक्वेरियम में कैद रहती हैं ।
अप्सराएं सुन्दरता की उपमा हैं ,
पर इन्द्र सभा की बंदी हैं ।
दूनियां में सामान्य स्त्रियां बेखौफ विचरण करती हैं ,
सुन्दर स्त्रियों को सबकी नजर घूरती हैं ।
सुन्दरता सबके आंखों में खटकती है ,
सुन्दरता हवश का शिकार बनती रहती है ।
ईश्वर ने सुन्दरता को वरदान ही बनाया था ,
मानवी लोभी आंखों ने इसे अभिशाप बना दिया है ।
जय प्रकाश कुंअर
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