आज उम्मीदों का दीप जलाएं
आज हृदय का कचड़ा हटाकर ,मन मस्तिष्क ये पावन अपनाएं ।
दीन हीन को हम हृदय लगा लें ,
आज उम्मीदों का दीप जलाएं ।।
गरीबों के घर मन जाए दिवाली ,
आज करतब हम कर दिखाएं ।
घर घर में बस जाएं माॅं लक्ष्मी ,
घर घर में हम खुशहाली लाएं ।।
घर घर में लक्ष्मी पूजन ये होगी ,
घर घर में मनेगी यह दिवाली ।
माॅं लक्ष्मी से हमारी है प्रार्थना ,
उनकी भी दूर कर दें बदहाली ।।
लक्ष्मी गणेश को सादर नमन ,
दोनों से मेरी है एक ही अर्जी ।
जन जन का दुःख क्लेश हरें ,
मस्तिष्क से मिटे ये खुदगर्जी ।।
मन का मैल मिटे यह सबका ,
सबकी सोच ये नेक हो जाएं ।
मिटे सबका ये लाचार गरीबी ,
आज उम्मीदों का दीप जलाएं ।।
पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना
अरुण दिव्यांश
डुमरी अड्डा
छपरा ( सारण )बिहार ।
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