निष्काम प्रेम की व्याख्या
निष्काम प्रेम की व्याख्या कर ले ,तेरा हृदय यह पावन हो जाएगा ।
घुस बैठेगा जब यह जेहन में तेरे ,
निष्काम प्रेम ही तुमको भाएगा ।।
निष्ठा आएगी यह तेरे ही मन में ,
परिश्रम की रोटी ही तू खाएगा ।
दुःख देखेगा जब तू दुखियों का ,
दुःख देख तेरा मन भर आएगा ।।
चमक दमक से तुम दूर ही रहोगे ,
सादगी तेरे मन को खूब भाएगा ।
गरीबी से जब तुम भी उठे हो ,
गरीबों को भी तब तू उठाएगा ।।
आशीष मिलेगा दीनों से तुमको ,
आशीष भरपूर तू भी तब पाएगा ।
जहाॅं पर खड़े थे तुम भी अबतक ,
वहाॅं से तू और आगे बढ़ जाएगा।।
पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना
अरुण दिव्यांश
डुमरी अड्डा
छपरा ( सारण )बिहार ।
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