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. "अधरों की देहरी पे"

 "अधरों की देहरी पे"

वो खत जो कभी लिखे गए थे
लेकिन अधूरे रह गए थे
वो खत जो कभी पढ़े गए थे
लेकिन अधूरे रह गए थे


वो खत जो आज भी अधूरे हैं
लेकिन हमारी यादों में पूरे हैं
वो खत जो आज भी अधूरे हैं
लेकिन हमारे दिलों में पूरे हैं


अधरों की देहरी पे कुछ अधलिखे से
कुछ अधपढ़े से वो खत जो पड़े हैं
कई बार मुड़ के है हमने निहारा
वो क्षण सारे अब भी वहीं पर खड़े हैं


वो खत जो हमारी कहानी के
एक अधूरे अध्याय हैं
वो खत जो हमारी यादों के
एक अधूरे खजाने हैं


उन खतों में है ज़िंदगी की कहानी,
प्यार की, उदासी की, तन्हाई की,
उन खतों में छुपा है वो हसीं पल,
जो कभी लौट के नहीं आएँगे।


वो खत अब भी हमें याद दिलाते हैं,
वो ज़माना जब हम थे बड़े भोले,
वो ज़माना जब हम थे बड़े नादान,
वो ज़माना जब हम थे बड़े बेख़बर।


वो खत जो आज भी हमारे लिए
भावों का एक गूढ़ रहस्य हैं
वो खत जो आज भी हमारे लिए
एक आशा की किरण हैं


अब तक वो खत अधूरे ही रह गए हैं,
लेकिन वो खत हमारे दिल में हमेशा रहेंगे,
वो खत हमारे ज़िंदगी का एक हिस्सा हैं,
जो कभी हमारे दिल से नहीं मिटेंगे।


कि एक दिन वो खत पूरे हो जाएंगे
और हमारी कहानी पूरी हो जाएगी
कि एक दिन वो खत पूरे हो जाएंगे
और हमारी यादें पूरी हो जाएंगी

पंकज शर्मा (कमल सनातनी)
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