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जब आंधी जोरों से चलती है |

जब आंधी जोरों से चलती है |

जब आंधी जोरों से चलती है ,
मिट्टी आसमान में उड़ती है ।
आंधी के रुकते ही मिट्टी ,
लौट जमीं पर आ पड़ती है ।
कुछ धूल कण जो तैरते ,
आकाश में रह जाते हैं ।
हवा के साथ मिलकर ,
लोगों के कष्ट का कारण बन जाते हैं ।
मिट्टी है चीज धरातल की ,
वह पवन वेग से उड़ जाती है।
पर आकाश संभाल सकता नहीं ,
इस लिए वहां टिक नहीं पाती है ।
औकात नहीं खुद उड़ने का ,
तो धरातल पर ही रहना है ।
आंधी पानी ओ धूप छांव ,
सब वहीं पर रह कर सहना है ।
हवा से कोई जगह रिक्त नहीं ,
मिट्टी के साथ ही रहता है ।
आंधी तूफान का शक्ल बना ,
सब तहस नहस भी करता है ।
क्षितिज, गगन ,समीर सब ईश्वर ने रचा है ,
सबका अपना महत्व है वहीं ।
नियति का ही यह विधान है ,
सबके लिए सबका स्थान है सही । 
 जय प्रकाश कुंअर
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