कातिक महिनवा के आजु शुभ दिनवा
कातिक महिनवा के आजु शुभ दिनवा ,सुरूजदेव के आज दिन एतवार हे ।
हमरो अरघ सुरूजदेव स्वीकारीं ,
हमरो बा रउए पर एतबार हे ।।
सूरूजदेव के छठी माई बाड़ी बहिनिया ,
परबईतिन लोग करे आज पुकार हे ।
सूरूजदेव छठी माई सुनीं ना अरजिया ,
अब लीहीं ना अरघ हमार हे ।।
कबसे लगईले बानी हमहूॅं अरदसिया ,
चलत बाटे शीतल बेयार हे ।
होत बाटे रऊरी अस्ताचल के बेरिया ,
अरघ लिहले बानीं कबसे ठाढ़ से ।।
जय जय जय हे छठिय मईया ,
महिमा बा रऊरी अपार हे ।
पहिलका अरघ भाई बहिनीं स्वीकारीं ,
इहे बाटे अरजी हमार हे।।
पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना
अरुण दिव्यांश
डुमरी अड्डा
छपरा ( सारण )बिहार ।
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