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मुश्किलों के दौर में भी, मुस्कुराना सीख लो,

मुश्किलों के दौर में भी, मुस्कुराना सीख लो,

फूल बनकर काँटों संग, गुनगुनाना सीख लो।
हैं बहुत से बाज गगन में, पंछी मगर रुकते नहीं,
मुश्किलों के दरमियान, आगे बढ़ना सीख लो।


है जलाती आग माना, कुछ पकाती आग भी,
पानी है सैलाब लेकिन, ये जीवन की आस भी।
दुखः यदि संग न चलें तो, सुख का आभास क्या,
जीवन पथ पर संग रखना, आस भी विश्वास भी।


तम मिटाने के लिए, दीप का प्रयास जारी है,
एक कोशिश आशा की, निराशा पर भारी है।
भोर की किरण एक, तम का नाश कर देती,
नन्हा दीपक परोपकारी, अंधकार अहंकारी है।

अ कीर्ति वर्द्धन
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