सन्नाटे की आवाज़ -----
खामोश!मुझे कहते हैं
मेरे लब
और प्रेरित करते हैं
सुनने के लिए
वह आवाज़
जो कहीं नहीं है
यानी
सन्नाटे की आवाज़।
क्योंकि
एकल परिवारों मे
सुननी होगी
यही सन्नाटे की आवाज़
दिन, प्रतिदिन
लगातार,
और जरुरी भी है
यह उस टूटन व घुटन से
बचने के लिए
जो दस्तक दे रही है
हर एकल परिवार की
चौखट पर।
डॉ अ कीर्तिवर्धन
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