श्रीमद्भागवत गीता कोई साधारण किताब नहीं है ।
श्री मद्भागवत गीता हिन्दू धर्म का एक पवित्र ग्रंथ है।गीता पढ़ने से मनुष्य का आत्मबल बढ़ता है ।
गीता मनुष्य के चरित्र निर्माण का उत्तम शास्त्र है ।
मनुष्य को सिर्फ अपना कर्म करना चाहिए ।
कर्म का फल मनुष्य के हाथ में नहीं , वह ईश्वर के हाथों में है।
निष्काम कर्म योग से मनुष्य का आत्मबल बढ़ता है ।
हम सब केवल वस्त्र बदलने को ही बदलाव समझते हैं ।
परन्तु हमें आवश्यकता हृदय परिवर्तन की होती है ।
यह परिवर्तन ही इस संसार का असली नियम है ।
और सही मायने में गीता के ज्ञान का असली अर्थ ,
आत्मा परमात्मा तथा श्रृष्टि विधान का ज्ञान ही गीता ज्ञान है ।
जय प्रकाश कुंअर
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