बर्फ ओढ़े मगन धरती जब बुलाती है।
बर्फ ओढ़े मगन धरती जब बुलाती है।
शीत का संदर्भ पावन मुस्कुराता है।।
पहाड़ों की स्वेदिमा की हँसी का यौवन
खिलखिलाती वादियों की दृष्टि मनभावन।
नील जल सा कुल बुलाता गगन का आँगन
मुदित मन को प्यार से सहसा बुलाता है।।
सेव के बागान की लाली भले चुप है
और केशर क्यारियाँ भी कहाँ गुम सुम हैं ।
और चीड़ सुदीर्घ काय भी खड़ा होगा
क्षितिज-नभ की मित्रता सब को दिखाता है।।
ठिठुरते उन तरी गेहों को सँभाले है
झील का पानी सिकारों को खँघाले है।
बस्तियों में चिमनियों से उठ रहा
धुआँचाय का प्याला मधुर मन गुनगुनाता है।।
हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews https://www.facebook.com/divyarashmimag
0 टिप्पणियाँ
दिव्य रश्मि की खबरों को प्राप्त करने के लिए हमारे खबरों को लाइक ओर पोर्टल को सब्सक्राइब करना ना भूले| दिव्य रश्मि समाचार यूट्यूब पर हमारे चैनल Divya Rashmi News को लाईक करें |
खबरों के लिए एवं जुड़ने के लिए सम्पर्क करें contact@divyarashmi.com