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आओ नव स्वप्न सजाएं

आओ नव स्वप्न सजाएं

2023 हो रहा अब जुदा ,
अदा करके अपनी अदाएं ।
नववर्ष में नवपथ चुन लें ,
आओ नव स्वप्न सजाएं ।।
बदी हुई जिनसे जो भी ,
अंतर्मन से उसे भूलाएं ।
नववर्ष में नव रिश्ते जोड़ें ,
मिलकर हम एक हो जाएं ।।
ईर्ष्या द्वेष हटा लें मन से ,
तनमन को पावन बनाएं ।
स्वार्थ हटा निश्छल हम बनें ,
लाचारों को हम गले लगाएं ।।
एक रहे थे एक हैं आज भी ,
नववर्ष की खुशियां मनाएं ।
एक एक जोड़ एक हो लें ,
रिश्ते सुंदर सबसे निभाएं ।।
पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना
अरुण दिव्यांश
डुमरी अड्डा
छपरा ( सारण )बिहार ।
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