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"शब्दों के घाव"

"शब्दों के घाव"

हथियारों के घाव समय के साथ भर जाते,
शब्दों के घाव का भरना तो आसान नहीं।
एक बार मुंह से निकले हुए ये कड़वे शब्द,
एक बार कमान से निकले हुए तीर सदृश,
बिना आहत किए वापस लौट आते नहीं।


शब्दों की शक्ति होती है अपार,
वे किसी मन को छू सकते हैं,
तो वे मन को बदल सकते हैं,
और वे मन को तोड़ सकते हैं।


शब्दों से प्रेम का संदेश दिया जा सकता है,
शब्दों से घृणा का संदेश दिया जा सकता है,
शब्दों से युद्ध का संदेश दिया जा सकता है,
शब्दों से शांति संदेश दिया जा सकता है।


शब्दों का प्रयोग विचार कर करना चाहिए,
शब्दों से हमें आहत नहीं करना चाहिए।
शब्दों में आश्वासन दे मदद करनी चाहिए,
शब्दों से जग को बेहतर बनाना चाहिए।


स्वरचित, मौलिक एवं अप्रकाशित पंकज शर्मा (कमल सनातनी)
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