मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम

मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम

मुनियों का जो मान बढ़ाया ,
गुणियों का फैलाया है ज्ञान ।
माता की ममता को दर्शाया ,
पिता का बढ़ाया है अरमान ।।
पिता होते आसमान सरीखे ,
पिता को तो बताया है प्रात ।
आसमान में तारे टिमटिमाते ,
तारों सम होते हैं सारे भ्रात ।।
तात देते रवि सा ताप उर्जा ,
चंद्र सा शीतलता देतीं मात ।
निशा काल मां उजाला देतीं ,
पिता उजाला देते हैं प्रभात ।।
नभ को तो सब होते हैं प्यारे ,
सुंदर रवि शशि और ये तारे ।
इनसे ही नभ यह होता धन्य ,
इनपे है गगन निज को वारे ।।
रूकना नहीं थकना भी नहीं ,
मत करना जीवन में विश्राम ।
धन्य होगा तेरा भी ये जीवन ,
सेवा निष्ठा तेरा हो निष्काम ।।
अवधवासी सब हुए कायल ,
राम जन्मभूमि अयोध्या धाम ।
सबका गुण बता गए एक एक ,ये मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम ।।
पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना
अरुण दिव्यांश
डुमरी अड्डा
छपरा ( सारण )बिहार ।
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