खोज रहा खुदको

खोज रहा खुदको

मैं खुद को ही खोज रहा।
अपने खुद के अंदर।
पर वो नहीं मिल रहा।
मुझको खुद के अंदर।।


कैसे मैं खोजू खुदको।
कोई बताओ मुझको।
क्या मेरा अस्तत्व है।
मेरे खुद के अंदर।।


अब चिंता में डूब रहा।
मेरा कोमल हृदय जो।
बैठे सोते खोज रहा है।
खुदको खुदके अंदर।।


अपने भाव को लेकर
पहुंचा प्रभु की शरण में।
देख उनकी एकांत मुद्रा को ।
खोज लिया मैंने खुदको।।


जय जिनेंद्र
संजय जैन "बीना" मुंबई
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