सारा धन दौलत, जवानी और पहचान

सारा धन दौलत, जवानी और पहचान ,

सारा लड़ाई झगड़ा और झूठा अभिमान ,
सब कुछ यहीं धरा का धरा रह जाता है ।
और एक दिन ऐसा आता है जब मनुष्य,
जो खुद रोते हुए इस धरती पर आया था,
सबको रोते छोड़ धरती से खुद चला जाता है। 
 जय प्रकाश कुंअर
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