खेल खेले ईश सारे

खेल खेले ईश सारे

मानव हो तुम कितना नादान ,
महत्व देते विज्ञान को ये सारे ।
मानव नहीं कुछ तेरे वश का ,
किस बात की अहंकार प्यारे ।।
बनाते हो रेल बस यान सभी ,
सारे ही होते ईश्वर के इशारे ।
सफल असफल होते कुछ भी ,
होते सब एक ईश्वर के सहारे ।।
बिन चालक के गाड़ी चलाते ,
एक रिमोट के ही आधार पर ।
सबका चालक ऊपर बैठा है ,
सब निहित ईश्वर के सार पर ।।
तेरे वश की कुछ नहीं मानव ,
जिसका करते अहंकार प्यारे ।
अरुण दिव्यांश पुतला मानव ,
तेरे द्वारा खेल खेले ईश सारे ।।
पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना
अरुण दिव्यांश
डुमरी अड्डा
छपरा ( सारण )बिहार ।
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