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चुनाव परिणाम- दूरगामी परिपेक्ष्य

चुनाव परिणाम- दूरगामी परिपेक्ष्य

लेखक मनोज मिश्र इंडियन बैंक के अधिकारी है|

रविवार को 4 राज्योंंके चुनाव परिणाम सामने आए। इसमें बीजेपी ने 3 और कांग्रेस ने 1 राज्य सत्ता पाई। जहां एग्जिट पोल छत्तीसगढ़ में कांग्रेस को बढ़त दे रहे थे वही सट्टा बाजार भी इस राज्य में कांग्रेस को ही सत्ता सौंप रहा था। राजस्थान में कांटे की टक्कर बताई जा रही थी वहीं मध्यप्रदेश बराबरी के मुकाबले में था। कांग्रेस के दिग्गजों ने बंगलुरू में 3 बसोंं का भी इंतजाम कर लिया था जिसमे कांग्रेस और निर्दलीय विधायक सुरक्षित रखे जा सकेंगे। ऐसा करने का कारण भी था। राजस्थान में सत्ता किसको सौंपी जाएगी ये एक बड़ा पेंच था। सचिन पायलट या अशोक गहलोत। मध्यप्रदेश में सब साफ था। कांग्रेस अगर 2 - 4 सीट कम भी रह गई तो दिग्गी राजा मोर्चा संभालेंगे और कमलनाथ सत्ता का ताज।
सारी गोटियां सेट थीं। दिल्ली के कांग्रेस मुख्यालय में चांदी के वर्क लगे लड्डुओं की खेप भी पहुंच चुकी थी। पर सब गुड गोबर हो गया। कांग्रेस तीनों प्रमुख राज्य हार गई और बीजेपी के हाथों लड्डू लग गए। पर इस परिणाम में जो सबसे अचरज की बात है वह यह है कि कांग्रेस का वोट शेयर करीब करीब सलामत है।
जहां 2018 के चुनाव में कांग्रेस को छत्तीसगढ़ में 43% मत मिले थे वहीं इस बार 42.04% मत मिले हैं। राजस्थान में यह आंकड़ा क्रमशः 39.30% और 39.22% का है। मध्यप्रदेश में उसे 40.89 और 40.34 का है वहीं तेलंगाना में उसका वोट प्रतिशत 28.43 से 39.91 हुआ है। जहां तेलंगाना में उसने साफ साफ BRS के वोटों में सेंध लगाई है वहीं अन्य राज्यों में उसका वोट प्रतिशत पूर्ववर्ती स्तर पर है या उससे थोड़ा सा काम हुआ है। जो मुख्य अंतर आया है वह इस बात का है कि अन्य क्षेत्रीय दल जो पहले बीजेपी के वोटों में से अपना हिस्सा पाते थे या यूं कहें कि अपना हिस्सा बीजेपी को दे बैठे हैं। लोगों को धीरे धीरे यह विश्वास हो चला है कि छोटे दल उनका कुछ भला नहीं कर सकते। देश की राजनीति अब दो ध्रुवीय हो चली है जिसके एक छोर पर बीजेपी है तो दूसरे पर कांग्रेस। आप, सपा, राजद, जदयू, बसपा आदि व्यक्ति आधारित दल अब राजनीति में अपना महत्व को रहे हैं। बसपा तो फिर भी अपनी उपस्थिति दर्शाने में सफल रही है पर अन्यान्य के पैरों तले जमीन खिसक रही है। इन सभी दलों के उम्मीदवारों की जमानत तक जब्त हो गई।
इस विश्लेषण में एक बार और उभर कर आई है वह है अल्पसंख्यक मतों का गिरता मूल्य। तेलंगाना में वह एक मुश्त कांग्रेस को गया इसलिए बीआरएस का वोट प्रतिशत जितना गिरा उतना ही कांग्रेस का बढ़ा और वह अब सत्ता पर काबिज हो रही है। पर अन्य राज्यों में इसी वोट से कांग्रेस का वोट प्रतिशत स्थिर है परंतु बहुसंख्यक मतों से बीजेपी के वोट शेयर में बढ़ोतरी हो गई जो उसके सत्ता पाने का कारण बना। रही बात आम आदमी पार्टी जदयू सपा जैसे दलों की तो वे सिर्फ नाम गिनाने के लिए ही रेस में थे और इस बार बीजेपी का वोट नहीं काट पाए।- 
मनोज कुमार मिश्र
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